🔺 दश महाविद्या – तंत्र का रहस्यमयी आकाश, आत्मा की दस चाबी 🔺

दश महाविद्याएँ केवल देवी के दस रूप नहीं हैं, वे मानव चेतना की दस दीक्षाएँ हैं। ये दस शक्तियाँ भय, मोह, अज्ञान, काम, क्रोध, अहंकार, मृत्यु और बंधन जैसी सीमाओं को भेदकर साधक को पूर्णता, शिवत्व और स्वतंत्रता की ओर ले जाती हैं।ये दस विद्याएँ प्रत्येक साधिका और साधक के लिए एक-एक द्वार हैं — जो उन्हें स्वरूपबोध, साधनाशक्ति और ब्रह्मज्ञान की ओर अग्रसर करती हैं।दश महाविद्याएँ गुरु के माध्यम से ही दीक्षा रूप में प्राप्त होती हैं, और प्रत्येक विद्या एक विशेष चक्र, एक विशेष ग्रह, एक विशेष तत्व, और एक विशेष मानसिक भाव से जुड़ी होती है।
दश महाविद्या साधना तंत्र का सर्वोच्च और सर्वाधिक रहस्यमय पथ है। यह साधना केवल उपासना नहीं, बल्कि साधक के भीतर छिपी हुई दस सूक्ष्म शक्तियों का जागरण है, जो जीवन की प्रत्येक अवस्था — मोह से मुक्ति, भय से सामना, मृत्यु की पारि, काम की शुद्धि, वाणी की सिद्धि, और आत्मा की स्वतंत्रता — में मार्गदर्शन करती हैं। इन विद्याओं की आराधना तंत्रमार्ग में साधक को साधारण मनुष्य से दिव्य चैतन्यस्वरूप में रूपांतरित करती है। दश महाविद्या वह द्वार है, जहाँ साधक केवल शक्ति की उपासना नहीं करता, बल्कि स्वयं शक्ति में विलीन हो जाता है। यह साधना मन को बाहर से भीतर की ओर मोड़ती है — और फिर भीतर से भी परात्पर तत्त्व की ओर। श्रीविद्या के गूढ़ रहस्यों की कुंजी यही दस देवियाँ हैं। जो दश महाविद्याओं के चरणों में समर्पित हो जाता है, उसके लिए कुण्डलिनी स्वतः जाग्रत होती है, चक्र शुद्ध होते हैं, और जीवन की हर बाधा एक साधना बन जाती है। यह साधना बाहरी अनुष्ठान नहीं, आत्मा के भीतर देवी का तांत्रिक सिंहासन है — जहाँ साधक अंततः शिवत्व को स्पर्श करता है।
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काली – समय की स्वामिनी, अज्ञान का नाश, मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री।
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तारा – शब्दशक्ति, मरणोत्तर मार्गदर्शिका, ब्रह्मविद्या की स्वामिनी।
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त्रिपुरसुन्दरी (षोडशी) – श्रीविद्या की अधिष्ठात्री, सौंदर्य और समर्पण की देवी।
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भुवनेश्वरी – आकाशतत्त्व की शक्ति, महाकौशल स्वरूपा।
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छिन्नमस्ता – अहंकार का संहार, आत्मबलिदान और मौन की देवी।
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भैरवी – क्रिया शक्ति, तेजस्विता, और भूतप्रेत बाधा की नाशक।
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धूमावती – विधवा रूपा, त्याग, वैराग्य, और शून्य की शक्ति।
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बगला मुखी – वाणी और शत्रुओं पर नियंत्रण, स्तम्भन की अधिष्ठात्री।
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मातंगी – वाणी, विद्या, संगीत और कलाओं की आदिशक्ति।
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कमला – लक्ष्मीस्वरूपिणी, समृद्धि, सौभाग्य, और संतोष की देवी।
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