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🔱ललिता सहस्रनाम 'ज्ञान-यज्ञ' 🔱

DALL·E 2025-03-10 14.09.38 - A mesmerizing depiction of __Chintamani Mahal__, the divine p

नाम्नां सहस्रं मे देव्या यो जपेत् श्रद्धयान्वितः।
स आयुष्मान्, श्रियान्, पुत्रवान् कीर्तिमान् भवेत्॥


(जो श्रद्धा से मेरे इन हजार नामों का जप करता है, वह दीर्घायु, धनवान, संतानवान और यशस्वी होता है।)

ललिता सहस्रनाम केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि ललिता त्रिपुरसुन्दरी देवी का दिव्य, जीवंत, और रहस्यमयी नाममय श्रीचक्र है। यह सहस्रनाम ब्रह्माण्डीय चेतना की हजार लहरें हैं — हर नाम एक शक्ति है, हर शब्द एक देवता है, और हर उच्चारण एक आत्मिक क्रिया है। यह स्तोत्र ब्रह्मविद्या, श्रीविद्या, योग, तंत्र, भक्ति और विज्ञान — इन सभी पथों का संगम है।

यह ललिता उपासना का सारतत्त्व है, जिसे स्वयं हयग्रीव भगवान ने अगस्त्य मुनि को श्रीविद्या की दीक्षा के साथ प्रदान किया था। इस स्तोत्र का पाठ करना देवी की हजार शक्तियों को मंत्रवत् जपने के समान है। यह देवी की अर्चना, ध्यान, न्यास, तर्पण, और आत्मबोध — सभी का एकत्रित रूप है।

क्योंकि इसमें ब्रह्मज्ञान, शब्दतत्व, कर्म सिद्धि, भक्ति रस, और तांत्रिक रहस्य एक साथ जलते हैं। यह स्तोत्र पाठक को साधारण जपकर्ता से योगिनी, साधिका, अथवा ब्रह्मज्ञानी की ओर ले जाता है।

देवी के ये हजार नाम स्वयं सौंदर्यलहरी, शिवशक्ति, नादबिन्दु, कुंडलिनी, और चेतना के बीज हैं।
यह जप केवल जप नहीं, यह देवी का ध्यान करते हुए, स्वयं को उसमें विसर्जित करना है।

ललिता सहस्रनाम को क्यों कहा गया है 'ज्ञान-यज्ञ'?
क्योंकि इसमें ब्रह्मज्ञान, शब्दतत्व, कर्म सिद्धि, भक्ति रस, और तांत्रिक रहस्य एक साथ जलते हैं। यह स्तोत्र पाठक को साधारण जपकर्ता से योगिनी, साधिका, अथवा ब्रह्मज्ञान की ओर ले जाता है।

ललिता सहस्रनाम केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि ललिता त्रिपुरसुन्दरी देवी का दिव्य, जीवंत, और रहस्यमयी नाममय श्रीचक्र है। यह सहस्रनाम ब्रह्माण्डीय चेतना की हजार लहरें हैं — हर नाम एक शक्ति है, हर शब्द एक देवता है, और हर उच्चारण एक आत्मिक क्रिया है। यह स्तोत्र ब्रह्मविद्या, श्रीविद्या, योग, तंत्र, भक्ति और विज्ञान — इन सभी पथों का संगम है।

यह ललिता उपासना का सारतत्त्व है, जिसे स्वयं हयग्रीव भगवान ने अगस्त्य मुनि को श्रीविद्या की दीक्षा के साथ प्रदान किया था। इस स्तोत्र का पाठ करना देवी की हजार शक्तियों को मंत्रवत् जपने के समान है। यह देवी की अर्चना, ध्यान, न्यास, तर्पण, और आत्मबोध — सभी का एकत्रित रूप है।

ललिता सहस्रनाम के विशेष लाभ:

  • चित्तशुद्धि: मन और बुद्धि की गहराई में जमी नकारात्मकता, अवसाद और अनजाने भय नष्ट होते हैं

  • शब्दशक्ति जागरण: उच्चारण से वाणी और कंठ में ऊर्जा का संचार होता है, वाक्सिद्धि प्राप्त होती है

  • देवी कृपा: शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक रक्षण; विशेषतः ग्रह दोष, पितृदोष, शत्रु बाधा, और तांत्रिक कष्टों से मुक्ति

  • आयु और आरोग्य: शरीर में प्राणशक्ति संतुलित होती है; रोग, थकावट और दुर्बलता नष्ट होती है

  • श्रीचक्र साधना में सहायक: यह पाठ नवावरणों को सक्रिय करता है और साधक के भीतर देवी को प्रतिष्ठित करता है

  • कुण्डलिनी जागरण में सहयोगी: प्रत्येक नाम एक चक्र को स्पर्श करता है; मूलाधार से सहस्रार तक ऊर्जा का उत्थान होता है

  • श्रीविद्या साधना की पात्रता: यह पाठ साधक को दीक्षा योग्य बनाता है

सहस्रनाममित्युक्तं पूर्वं स्तोत्रं महाफलम्।

जपेन्‌ नित्यमनन्यात्मा, सिद्धिं प्राप्नोत्यसंशयम्॥

(जो साधक इस सहस्रनाम को नित्य जपता है, उसे सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है — इसमें कोई संदेह नहीं।)

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tel. -8590836425

South India: (Sept.-Feb)

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